ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति॥

शनिवार, 30 अप्रैल 2016

फूलों द्वारा वशीकरण..भाग 2,

फूल एक ऐसी वस्तु है जिस के द्वारा आप  बिना बोले भी आप अपने भाव प्रगट कर संकेत दे देते है,

जीवन चक्र का आरम्भ भी फूलों के द्वारा हो संभव हो पाता है, जब तक फूल नही होगा तब तक सृष्टि उत्पन्न नही होगी, अर्थात फूल से बीज बनता है, बीज से नया सृजन होता है, फूल से ही फल का निर्माण, फल से बीज इत्यादि ये जीवन चक्र इसी प्रकार से फूलों के इर्द गिर्द ही घूमता रहता है,अतः फूल के बिना सृष्टि की कल्पना भी नही की जा सकती है.

समस्त फूलों के देवता अलग अलग है, लेकिन कामदेव सभी फूलों के प्रधान देव के रूप में माने जाते है,काम देव के पास एक ऐसा अमोघ बाण है जो पुष्प बाण के नाम से विख्यात है जब किसी पर ये बाण चलता है तो वो कामाग्नि से विचलित हो उठता है.इसीलिए फूलों का तंत्र शास्त्र में बहुत बड़ा प्रभाव माना गया है,काम देव का वास फूलों में होने के कारण सभी देवी देवता इन फूलों को सहर्ष स्वीकार करते है, आसन के रूप में भी इसे स्वीकार करते है.

अब  तक आप और हम सब लोग केवल पूजा, श्रृंगार आदि सजावट के कार्यों में फूल अर्पित करते होंगे. लेकिन आप ये नही जानते कि फूल में इतनी अधिक शक्तियां गुप्त रूप से विद्यमान रहती है जिसके द्वारा हम सभी अपनी समस्त मनोकामना तथा सभी जीवों पर वशीकरण क्रिया कर सकने में सक्षम होते है, सभी मनोकामना के लिए शास्त्रों में अलग अलग फूल का निर्देश दिया है, क्योंकि सभी फूलों में अलग अलग देवी देवता का वास या आधिपत्य होता है.अलग अलग मनो कामना के लिए अलग अलग रंग-रूप के फूलों की आवश्यकता होती है,

प्रत्येक फूल का अपना एक अलग वार होता है तथा उसके गुण किसी दुसरे फूल में मिलान नही करते है, उदाहरण के लिए गुलाब का फूल को लेते है लाल गुलाब मंगलवार तथा रविवार में अधिक शक्ति या ऊर्जा देता है, गुलाबी पिंक गुलाब शुक्रवार, सफेद गुलाब सोमवार तथा काला गुलाब बुधवार तथा शनिवार को अधिक प्रभावी रहता है अतः फूल के रंगों द्वारा उसके वार को ज्ञात कर सकते है क्योंकि  जो वार होगा उस वार के रंग की किरणें उस दिन सर्वाधिक रहती है ये सूत्र हमेशा याद रखें.

आज इन फूलों की शक्तियों का लाभ उठाने की क्रिया को आप सबके सामने रख रहा हूँ, कुछ समस्याएं मनुष्य के जीवन को अज के युग में परेशान करती है जो की लगभग सभी मनुष्यों में एक समान है वो है क़र्ज़ समस्या अर्थात धन  की तंगी या आमदनी का कम होना ही मनुष्य को क़र्ज़ लेने पर विवश कर देता है, फूलों के द्वारा हम क़र्ज़ की समस्या को भी दूर कर  लाभ उठा सकते है. क़र्ज़ दूर करने या खत्म करने के लिए जो फूल ऋषि मुनियों ने बताया है वो है..कनेर का फूल, इस कनेर के फूल में कुबेर देवता का वास है, अतः हम कनेर के फूल द्वारा ऋण से मुक्ति पा सकते है, कैसे ????

वृहस्पतिवार  को एक कनेर का पेड़ के पास प्रातः अपनी कामना लेकर हाथ जोड़कर नमस्कार करें और अपनी कामना की प्रार्थना करें कि कल शुक्रवार आप का फूल  मेरी क़र्ज़ मुक्ति के कार्य को सिद्ध करें इसीलिए कल मैं आपके  5 फूल को लेने आउंगा या आउंगी अतः आप मेरा सहयोग करें, इस प्रकार का निवेदन कर कलावा उस कनेर के पेड़ पर बाँध दें. शुक्रवार प्रातः गुलाबी रंग का कपड़ा सिर पर ढक कर ससम्मान 5  फूल तोड़ कर ले आयें (गुलाबी अथवा लाल फूल ही इस कार्य के लिए लें), घर आकर फूलों को शुद्ध स्थान में रखें तथा एक लकड़ी की चौकी पर गुलाबी रंग का कपड़ा बिछाएं उस पर ये फूल रखें, धुप दीप सामने रख कर शुद्ध जल का छींटा फूलों पर करें,तत्पश्चात केसर की एक या दो पत्तियाँ भी फूलों के साथ रख कर श्री कुबेर जी का मानसिक स्मरण करें कि विश्व के कोषाधिपति कुबेर जी मेरे घर परिवार पर अनुकम्पा कर धन वृद्धि करें.

इसके पश्चात जल का 15  से 20  मिनट तक छींटा कर मन ही मन ह्रदय और श्रद्धा से अपनी प्रार्थना लगातार एकाग्र हो कर करें.इसके बाद धुप और दीपक द्वारा आरती इन फूलों की करें, तथा मेवे वाली खीर बना कर पूरे परिवार सहित प्रशाद रूप में ग्रहण करें ये ध्यान रहें की ये खीर का प्रशाद अपने परिवार में ही देना है बाहर के किसी व्यक्ति को नही देना,इस क्रिया के 16 घंटे बाद या अगली सुबह इन फूलों को मंदिर में जा कर  जहाँ श्री लक्ष्मी नारायण जी की प्रतिष्ठित मूर्ती हो वहां माँ लक्ष्मी जी के चरणों में अपनी प्रार्थना कहते हुए रख दें, 

इस प्रकार से श्रद्धापूर्वक करने से ऋण मुक्ति के मार्ग खुल जायेंगे तथा कोई ना कोई ऐसी देविक कृपा से क़र्ज़ कम होकर बिलकुल समाप्त होने लगेगा, ये क्रिया महीने में एक बार करें तथा पांच बार करने से तुरंत लाभ होना आपको दिखाई दे जाएगा.

 "भगवान कुबेर जी आप सब की मनोकामना इस तंत्र द्वारा पूर्ण करें" 

ऐसी मेरी शुभकामनाएं है.....

अगले भाग में धन प्राप्ति  का फूलों द्वारा प्रयोग देने जा रहा हूँ...


श्रीस्तु  !!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें