ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति॥

शनिवार, 30 अप्रैल 2016

फूलों द्वारा वशीकरण..भाग 2,

फूल एक ऐसी वस्तु है जिस के द्वारा आप  बिना बोले भी आप अपने भाव प्रगट कर संकेत दे देते है,

जीवन चक्र का आरम्भ भी फूलों के द्वारा हो संभव हो पाता है, जब तक फूल नही होगा तब तक सृष्टि उत्पन्न नही होगी, अर्थात फूल से बीज बनता है, बीज से नया सृजन होता है, फूल से ही फल का निर्माण, फल से बीज इत्यादि ये जीवन चक्र इसी प्रकार से फूलों के इर्द गिर्द ही घूमता रहता है,अतः फूल के बिना सृष्टि की कल्पना भी नही की जा सकती है.

समस्त फूलों के देवता अलग अलग है, लेकिन कामदेव सभी फूलों के प्रधान देव के रूप में माने जाते है,काम देव के पास एक ऐसा अमोघ बाण है जो पुष्प बाण के नाम से विख्यात है जब किसी पर ये बाण चलता है तो वो कामाग्नि से विचलित हो उठता है.इसीलिए फूलों का तंत्र शास्त्र में बहुत बड़ा प्रभाव माना गया है,काम देव का वास फूलों में होने के कारण सभी देवी देवता इन फूलों को सहर्ष स्वीकार करते है, आसन के रूप में भी इसे स्वीकार करते है.

अब  तक आप और हम सब लोग केवल पूजा, श्रृंगार आदि सजावट के कार्यों में फूल अर्पित करते होंगे. लेकिन आप ये नही जानते कि फूल में इतनी अधिक शक्तियां गुप्त रूप से विद्यमान रहती है जिसके द्वारा हम सभी अपनी समस्त मनोकामना तथा सभी जीवों पर वशीकरण क्रिया कर सकने में सक्षम होते है, सभी मनोकामना के लिए शास्त्रों में अलग अलग फूल का निर्देश दिया है, क्योंकि सभी फूलों में अलग अलग देवी देवता का वास या आधिपत्य होता है.अलग अलग मनो कामना के लिए अलग अलग रंग-रूप के फूलों की आवश्यकता होती है,

प्रत्येक फूल का अपना एक अलग वार होता है तथा उसके गुण किसी दुसरे फूल में मिलान नही करते है, उदाहरण के लिए गुलाब का फूल को लेते है लाल गुलाब मंगलवार तथा रविवार में अधिक शक्ति या ऊर्जा देता है, गुलाबी पिंक गुलाब शुक्रवार, सफेद गुलाब सोमवार तथा काला गुलाब बुधवार तथा शनिवार को अधिक प्रभावी रहता है अतः फूल के रंगों द्वारा उसके वार को ज्ञात कर सकते है क्योंकि  जो वार होगा उस वार के रंग की किरणें उस दिन सर्वाधिक रहती है ये सूत्र हमेशा याद रखें.

आज इन फूलों की शक्तियों का लाभ उठाने की क्रिया को आप सबके सामने रख रहा हूँ, कुछ समस्याएं मनुष्य के जीवन को अज के युग में परेशान करती है जो की लगभग सभी मनुष्यों में एक समान है वो है क़र्ज़ समस्या अर्थात धन  की तंगी या आमदनी का कम होना ही मनुष्य को क़र्ज़ लेने पर विवश कर देता है, फूलों के द्वारा हम क़र्ज़ की समस्या को भी दूर कर  लाभ उठा सकते है. क़र्ज़ दूर करने या खत्म करने के लिए जो फूल ऋषि मुनियों ने बताया है वो है..कनेर का फूल, इस कनेर के फूल में कुबेर देवता का वास है, अतः हम कनेर के फूल द्वारा ऋण से मुक्ति पा सकते है, कैसे ????

वृहस्पतिवार  को एक कनेर का पेड़ के पास प्रातः अपनी कामना लेकर हाथ जोड़कर नमस्कार करें और अपनी कामना की प्रार्थना करें कि कल शुक्रवार आप का फूल  मेरी क़र्ज़ मुक्ति के कार्य को सिद्ध करें इसीलिए कल मैं आपके  5 फूल को लेने आउंगा या आउंगी अतः आप मेरा सहयोग करें, इस प्रकार का निवेदन कर कलावा उस कनेर के पेड़ पर बाँध दें. शुक्रवार प्रातः गुलाबी रंग का कपड़ा सिर पर ढक कर ससम्मान 5  फूल तोड़ कर ले आयें (गुलाबी अथवा लाल फूल ही इस कार्य के लिए लें), घर आकर फूलों को शुद्ध स्थान में रखें तथा एक लकड़ी की चौकी पर गुलाबी रंग का कपड़ा बिछाएं उस पर ये फूल रखें, धुप दीप सामने रख कर शुद्ध जल का छींटा फूलों पर करें,तत्पश्चात केसर की एक या दो पत्तियाँ भी फूलों के साथ रख कर श्री कुबेर जी का मानसिक स्मरण करें कि विश्व के कोषाधिपति कुबेर जी मेरे घर परिवार पर अनुकम्पा कर धन वृद्धि करें.

इसके पश्चात जल का 15  से 20  मिनट तक छींटा कर मन ही मन ह्रदय और श्रद्धा से अपनी प्रार्थना लगातार एकाग्र हो कर करें.इसके बाद धुप और दीपक द्वारा आरती इन फूलों की करें, तथा मेवे वाली खीर बना कर पूरे परिवार सहित प्रशाद रूप में ग्रहण करें ये ध्यान रहें की ये खीर का प्रशाद अपने परिवार में ही देना है बाहर के किसी व्यक्ति को नही देना,इस क्रिया के 16 घंटे बाद या अगली सुबह इन फूलों को मंदिर में जा कर  जहाँ श्री लक्ष्मी नारायण जी की प्रतिष्ठित मूर्ती हो वहां माँ लक्ष्मी जी के चरणों में अपनी प्रार्थना कहते हुए रख दें, 

इस प्रकार से श्रद्धापूर्वक करने से ऋण मुक्ति के मार्ग खुल जायेंगे तथा कोई ना कोई ऐसी देविक कृपा से क़र्ज़ कम होकर बिलकुल समाप्त होने लगेगा, ये क्रिया महीने में एक बार करें तथा पांच बार करने से तुरंत लाभ होना आपको दिखाई दे जाएगा.

 "भगवान कुबेर जी आप सब की मनोकामना इस तंत्र द्वारा पूर्ण करें" 

ऐसी मेरी शुभकामनाएं है.....

अगले भाग में धन प्राप्ति  का फूलों द्वारा प्रयोग देने जा रहा हूँ...


श्रीस्तु  !!

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

फूलों द्वारा वशीकरण....

एक छोटा सा फूल इतना चमत्कारी होता है जो आप सोच भी नहीं सकते, दुनिया के किसी भी धर्म  में, किसी भी सार्वजनिक कार्य में, पूजा पाठ, उपासना, ख़ुशी के उपलक्ष्य में आदि आदि ऐसे कई प्रकार के उत्सव है सभी में विभिन्न प्रकार के फूलों का बहुत अधिक प्रयोग होता रहा है और आज भी अधिक मात्रा में फूलों को सबसे पहले लिया जाता है.  पूजा पाठ आदि में यही फूल श्रद्धा के फूल बन जाते है, तथा मृत्यु के उपरान्त यही फूल श्रद्धा सुमन के रूप में हम सब के सामने आते है.

फूल का सम्बन्ध पृथ्वी से है,और पृथ्वी अपनी इच्छा और लालसा फूलों द्वारा व्यक्त करती है.सुन्दर फूल आप पूजा पाठ में या अपने प्रिय को भेट करते है, फूल सुंदर और दिव्य होते है.फूल उत्तम माने जाते है, हमारे जीवन में फूल हर रंग में स्थित है, 

इन फूलों का एक और रूप है जो कि आगम निगम ग्रंथों मिलता है,नवग्रहों की पूजा अनुष्ठान में सूर्यादि नव ग्रहों के अलग अलग रंगों के फूलों का प्रयोग शास्त्रों में वर्णित है.तथा फूलों के द्वारा जीवन में विविध चमत्कार भी आसानी से किये जा सकते है,इन सबका विवरण हमारे दुर्लभ ग्रंथों में उल्लेखित है, फूल मनुष्य जीवन में प्रधान सामग्री के रूप में माना जाता है.

फूल पूजा पाठ कर्मकांड, विवाह आदि शुभ कार्यों में महिलाओं के श्रृंगार रूप में,  घर, मकान, ऑफिस,में सजावट के रूप में, किसी रोगी को स्वस्थ कामना देने के लिए तथा अंत में मृत्यु होने के बाद श्रध्दांजलि रूप में इन फूलों को हम श्रद्धा सुमन  कह देते है.फूल मनुष्य  से लेकर देवताओं तक सभी को प्रिय है.

सिद्ध स्थानों, हिमालय के दूर के स्थानों पर, सुनसान या वीराने स्थान पर उत्पन्न  फूलों में योगिनी शक्तियां विद्यमान रहती है,यहाँ तक कि सभी फूलों में कोई ना कोई शक्ति गुप्त रूप में अवश्य रहती है,फूल जब हम किसी को भेंट करते है तो वो शक्ति भी साथ चली जाती है और उस की भावना को प्रगट कर कामना पूरी कर देती है,

ज्योतिष नक्षत्र और तिथि वार आदि के संयोग से फूल तोड़ कर लाभ उठाया जा सकता है.आधुनिक चिकित्सा शास्त्र, होमियोपैथ ,आयुर्वेद आदि में भी फूलों के प्रयोग का विवरण है.
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फूल एक ऐसी वस्तु है जिस के द्वारा आप  बिना बोले भी आप अपने भाव प्रगट कर संकेत दे देते है,जीवन चक्र का आरम्भ भी फूलों के द्वारा हो संभव हो पाता है, जब तक फूल नही होगा तब तक सृष्टि उत्पन्न नही होगी, अर्थात फूल से बीज बनता है, बीज से नया सृजन होता है, फूल से ही फल का निर्माण, फल से बीज इत्यादि ये जीवन चक्र इसी प्रकार से फूलों के इर्द गिर्द ही घूमता रहता है,अतः फूल के बिना सृष्टि की कल्पना भी नही की जा सकती है.

समस्त फूलों के देवता अलग अलग है, लेकिन कामदेव सभी फूलों के प्रधान देव के रूप में माने जाते है,काम देव के पास एक ऐसा अमोघ बाण है जो पुष्प बाण के नाम से विख्यात है जब किसी पर ये बाण चलता है तो वो कामाग्नि से विचलित हो उठता है.इसीलिए फूलों का तंत्र शास्त्र में बहुत बड़ा प्रभाव माना गया है,काम देव का वास फूलों में होने के कारण सभी देवी देवता इन फूलों को सहर्ष स्वीकार करते है, आसन के रूप में भी इसे स्वीकार करते है.


इसीलिए इन फूलों को बार बार अकारण तोड़ने की गलती कभी नही करनी चाहिए, ऐसा करने से दोष लग जाता है और ये पाप कर्म की श्रेणी में भी आता है.

फूलों द्वारा हम वशीकरण क्रिया को आसानी से कर सकते है, अपने देवताओं को प्रसन्न कर सकते है, और भी अनेक कार्य इन्हीं फूलों के द्वारा हम सिद्ध कर सकते है.

फूलों को तोड़ने का या खरीदने का समय विशेष  रूप से ध्यान रखें इसके नियम है जैसे....

अपनी पत्नी को प्रसन्न करने के लिए सुबह 11  बजे से पहले,

अपने उच्च अधिकारी को प्रसन्न करने के लिए  दोपहर 1 से 2  के मध्य,

अपने पिता को प्रसन्न करने के लिए प्रातः 7  से 8 के मध्य,

अपने गुरु देव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रातः सूर्योदय के समय, 

अपने प्रेमी या प्रेमिका को प्रसन्न करने के लिए अपराह्न 4  से 6 के मध्य,

अपने पुत्र ( जो कहना ना मानता हो) उसे प्रसन्न या उसका वशीकरण करने के लिए दोपहर 12 बजे के आसपास ,

अपने पुत्री  ( जो कहना ना मानती हो) उसे प्रसन्न या उसका वशीकरण करने के लिए दोपहर 11 से 11:45 बजे तक.  


यदि आप फूल तोड़ कर भेंट करते है तो उचित रहेगा, खरीदें हुए फूल का असर बहुत कम तथा विलम्ब से मिलता है 

इसके आगे के लेख में आपको फूलों के रंग तथा किस दिशा में खड़े होकर भेट किये जाएँ...इसका विवरण विस्तार से देने का प्रयास करूँगा.............

जारी.............अगले लेख में ....

शुभमस्तु !!!


गुरुवार, 28 अप्रैल 2016

वशीकरण प्रयोगों द्वारा अपनी कामनाएं पूर्ण करें....

वशीकरण विद्या एक प्राचीन और सनातन विद्या है तथा तंत्र शास्त्र अनुसार अष्ट कर्म, शान्ति कर्म आदि सभी कर्मों में एक महत्वपूर्ण विद्या है,
इस विद्या को प्राप्त करना या इस विद्या से अपनी समस्या दूर करना मुश्किल साधना तो है लेकिन असंभव नही है.
बहुत से व्यक्तियों ने मुझसें एक ही बात बार बार पूछी है कि वशीकरण कैसे किया जाएँ ?क्योंकि !! 
सभी को किसी ना किसी को अपने वश में करना है. 
कर्मचारी चाहता है कि उसका बॉस उसके वश में हो और उसे जब चाहे छुट्टी मिल जाए… 
पत्नी सोचती है पति वश में रहे, यही सोच पति की भी होती है… 
कोई सोचता है मेरे सभी दोस्त में वश हो जो मैं बोलू सभी वैसा ही करें… 
लड़कों को लड़कियों को वश में करना है तो लड़कियों को लड़के अपने वश में चाहिए सामान्यत: ऐसे ही सोच सभी की हैं.वशीकरण है क्या…? 
यही कि जो आप बोले, जो आप चाहेवह ही हो जाए।
वशीकरण का प्रयोग आप किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों के लिए कर सकते हैं ! वशीकरण हर जगह कारगर है चाहें व्यक्ति इस दुनिया में कही भी रह रहा हो ! 
वशीकरण के लिए सिर्फ सच्चे भावनात्मक जुडाव की जरूरत है
यदि आप सच में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों से भावनात्मक रूप से जुड़े हैं  तो वशीकरण 100% कामयाब होगा  !

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वशीकरण द्वारा आप  निम्न कार्य के लिए कर सकते हैं ...

अपने पसंद के पुरुष या स्त्री को जीवनसाथी बनाने हेतु

प्रेम या विवाह में बाधा को समाप्त करने के लिए

किसी विशेष व्यक्ति या लोगों के समूह को वश में करने के लिए

अपने पति या पत्नी को वश में करने हेतु

अपने सास ससुर को वश में करने हेतु

अपने बॉस या अधिकारी  को वश में करने हेतु

अपने शत्रु/शत्रुओं पर काबू पाने हेतु

अपने बेटी या बेटे को गलत संगत से बचाने हेतु

इंटरव्यू में निश्चित सफलता हेतु

सुख एवं समृद्धि को अपनी और आकर्षित करने हेतु


वशीकरण द्वारा कार्य करना बहुत ही मुश्किल एवं जटिल है.

इसमें एकाग्रता की बहुत आवश्यकता है. लेकिन असंभव नही.

अब कुछ प्रयोग लिख रहा हूँ जिसे मेने पिछले कई वर्षों से सिद्ध और पूर्णतया कार्य होते अनुभव किया है यदि आपकी भावना शुद्ध है तो 100% सफलता आपको प्राप्त होगी..

यदि आप किसी आवश्यक काम के लिए यात्रा पर जा रहे है तो उसी समय एक नारियल लें उसको हाथ में लेकर 11बार ” श्री हनुमते नमः ” कहकर धरती पर मार कर तोड़ दें उसके जल को ऊपर छिड़क लें और गरी को निकालकर बाँट दें तथा खुद भी खाएं तो यात्रा सफल रहेगी और काम भी बनेंगे..

जीवन में सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए शुक्ल पक्ष के बुधवार को प्रातः बिना कुछ खाए पियें एक मिट्टी का शेर खरीदें उसे घर लाकर उसका मानसिक पूजन करें तथा अपनी कामना को सिद्ध करने के लिए उस शेर के आगे प्रार्थना कर मंदिर ले जा कर माँ दुर्गा देवी के आगे प्रणाम कर श्रद्धा से रख आयें और प्रशाद बाँट कर घर आ जाएँ बस फिर चमत्कार देखें सभी बाधाएं जल्दी दूर होती जायेंगी.

अगर आप किसी जरुरी काम से किसी से मिले जा रहे है या किसी से उधार वापिस लेने जा रहें है या रिश्ते की बात करने जा रहें है, तो एक पीला पक्का नींबू लेकर उस पर 4 फूलदार लौंग गाड़ दें तथा इस मंत्र का जप श्री हनुमते नमः” 21 बार करें जप करने के बाद उसको साथ लेकर चले जायें काम में किसी प्रकार की बाधा नही आएगी.सफलता मिलेगी.

यदि परिवार में अनावश्यक परेशानी आ रही है या सभी सदस्य एक दुसरे के शत्रु बने हुए है तो केवल रविवार की रात्रि को सोते समय सिरहाने पानी का लोटा भरकर रखें सोमवार की सुबह थोड़ा जल पीकर दरवाजे की चोखट पर डाल दें तो काफी लाभदायक होगा और परेशानियां भी दूर हो जाएंगी, ऐसा 21 रविवार करें, परिवार का कोई भी सदस्य कर सकता है,इस से बहुत जल्दी लाभ मिलेगा.

अगर परिवार में से कोई सदस्य रोगी हो और उसे दवाई आदि का कोई असर नही हो पा रहा हो तो तो एक पान का पत्ता , एक गुलाब का फूल और 7 बताशे , पान के पत्ते में रखकर शनिवार शाम के समय रोगी के सिर के ऊपर से क्लोक वाइज वार कर उसे चौराहे पर रख दें रोगी ठीक होने लगेगा.


आगे इस विषय में और अधिक प्रयोगों का विवरण करूंगा.....

शुभमस्तु !!


मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

जल से वशीकरण..........

वशीकरण कर्म अनुसार सबसे महत्वपूर्ण स्थान "जल" का है, जैसा की आप सब जानते है कि जल ही जीवन है, बिना जल के कोई भी मनुष्य, जीव जंतु और सभी वनस्पति भी जल पर आधारित है.

बिना जल के जीवन का अस्तित्व ही नही है तथा बिना जल के हमारा कर्म काण्ड, पूजा पाठ सभी अधूरा है,

गोस्वामी तुलसी दास जी ने भी श्री राम चरित मानस  में स्पष्ट लिखा है की मनुष्य का शरीर भी जल तत्व या जल से बना हुआ है, “क्षिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम शरीरा।।” पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और पवन – इन पंचतत्वों से यह अत्यंत अधम शरीर रचा गया है.अतः स्पष्ट है की जल ही वो महत्वपूर्ण तत्व है जो कि सभी मनुष्यों में जीवन दायनी का धर्म निभाता है,“यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे”
इसी जल के द्वारा हम वशीकरण आदि सभी क्रिया करने में सक्षम भी हो जाते है.

और यही जल जब  प्रत्यक्ष रूप से जीवन की संजीवनी के रूप में कार्य कर रहा है, तो षट कर्मों, महाविद्या
उपासना, आदि सभी तंत्र के क्षेत्रों में जल की महत्वपूर्ण भूमिका है, 

यही जल गुप्त रूप से सभी क्रियाओं में अत्यंत लाभ देने में सक्षम है. आज इसी जल के द्वारा हम किस प्रकार से वाशिकर्ण कर सकते है, इस विषय पर प्रकाश डालने का प्रयास कर रहा हूँ.

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जीवन का आरम्भ प्रातः से होता है और उस प्रातः का आरम्भ जल से होता है.जल के बिना जीवन की सभी क्रिया किसी भी दुसरे तत्व या वस्तु से नही हो सकती.कभी सोचा है. 

भारतीय संस्कृति में जब भी कोई अतिथि आयें तो घर की लक्ष्मी अर्थात बहन, बेटी आदि के द्वारा सर्वप्रथम जल दिया जाता था, इस समय भी बहुत कम परिवारों में ऐसा होता है, अधिकतर आजकल तो घर का नौकर ही जल लेकर सामने आता दिखाई देता है,

 घर में गृहिणी या बेटी,बहन के द्वारा दिया गया जल ही एक वशीकरण का गुप्त साधन होता है, इनके हाथ से पीया गया जल अतिथि और उस परिवार में प्रेम भाव की वृद्धि करता था,

आज के युग में अतिथि के अलावा घर का भी कोई सदस्य घर में आता है तो या तो खुद जल फ्रिज में से उठा कर पीता है या नौकर को आवाज लगा कर पीता है, इसी कारण से परिवार में आपस में मतभेद उत्पन्न हो रहा है अर्थात प्रेम का सम्बन्ध प्रायः समाप्त ही है, 

यदि परिवार में आपसी सौहार्द उत्पन्न करना है तो स्वयं या अपने परिवार के सदस्य द्वारा ही जल  पीना चाहिए, कुछ ही दिनों में चमत्कार देखेंगे.

घर आये अतिथि, सम्बन्धी, मित्र परिवार को भी यथा संभव अपने हाथ द्वारा जल भेंट करें, इससे आजीवन प्रेम बना रहेगा मन मुटाव होने की संभावना बिलकुल समाप्त हो जायेगी.

यदि कोई रूठा हुआ है, पत्नी, प्रेमिका, पुत्र, पुत्री कोई भी उसे अपने हाथ से जल  दें तुरंत असर दिखाई देगा,

आपकी प्रेमिका या पत्नी आपका कहना नही मान रही है, या आपका प्रेमी, पति आपसे रूठा हुआ है तो प्रातः काल में जल को किसी धातु के गिलास  में दें फिर देखें इसका प्रभाव....आप आश्चर्य में पड़ जायेंगे.

क्या पाने ऑफिस में अपने साथ काम करने वालों को बिना मांगे कभी जल पिलाया?

क्या आपने अपने माता-पिता को कभी बिना मांगे जल पिलाया ?

क्या आपने अपने हाथ से कभी ग्राहक को बिना मांगे जल दिया?

क्या आपने अपने हाथ से प्रेम से पत्नी को बिना मांगे जल दिया ?

या जिससे कोई कार्य निकलवाना है उसे बिना मांगे जल दिया ?

यदि कोई क़र्ज़ वापिस मांगने आये तो क्या कभी बिना मांगे उसे जल दिया ?

एक बार इसे शुरू करो .....

फिर जल के इस उपाय का चमत्कार देखो................

आप आश्चर्य चकित रह जाओगे कि जल द्वारा दुर्लभ कार्य इतना आसान हो गया है..

लेख के विस्तार के भय से अब इतना ही.......

आगे के लेखों में जल की चमत्कारी विधियां प्रस्तुत करूंगा ...


शुभमस्तु !!

सोमवार, 25 अप्रैल 2016

भाग्य वृद्धि करें.....


कोई भी वशीकरण या कोई भी तंत्र साधना करने से पहले अपनी रक्षा और अपना मन मजबूत करना अत्यंत आवश्यक है, चाहे कोई भी कार्य की सिद्धि करना चाहते है तो अपना भाग्य बलवान करें. क्योंकि भाग्य का बल यदि कमजोर हुआ तो कोई भी कार्य सफल नही होगा, अतः अपने भाग्य की वृद्धि के लिए उपाय करना अति आवश्यक होता है. अपने नाम की राशि अनुसार भाग्य वृद्धि के उपाय करने चाहिए, ये ध्यान रखें आपको जन्म नाम ही इसमें प्रयोग करना चाहिए, अपने विद्वान पंडित जी से अपनी जन्म तिथि आदि बता कर आप अपना जन्म नाम ज्ञात कर सकते है.
यदि आपका भाग्य कमजोर है तो आपके परिवार के सदस्यों में आपस में कलह रहेगी, किसी सदस्य को हमेशा बिमारी लगी रहेगी, घर की सारी आमदनी बिमारी या कोर्ट कचहरी आदि में खर्च हो जाती हो, धन की बरकत ना रहती हो, अपने घर आने पर घुटन महसूस होती हो या हमेशा घर में बिना बात के आपस में झगडा हो रहा है या रसोई का भोजन बाहर बेकार फेंका जा रहा है तो समझ लेना कि भाग्य कमजोर हो रहा है. 

इसकी शान्ति के लिए अपने ज्योतिषी से संपर्क कर अशुभ ग्रहों का उपाय करे, जिससे भाग्य की वृद्धि हो अथवा अपनी जन्म राशि अनुसार निम्न उपाय भी कर भाग्य वृद्धि कर सकते हो.

मेष- मेष राशि वाले व्यक्ति अपने घर में लाल गाय का गौमूत्र लेकर उसे प्रातः और संध्या के समय किसी भी लाल फूल से पूरे घर में छीटें लगाएं और शाम को गुग्गल को गाय के गोबर के बने उपले (कंडे) में जला कर घर में धुनी दें...

वृष- वृष राशि वाले व्यक्ति लक्ष्मी जी के मन्दिर में जाकर गाय का घी का दीपक जलाएं उसमें एक किशमिश का दाना डालें तथा दही का दान देना करें..
मिथुन- मिथुन  राशि वाले व्यक्ति बुध वार के दिन मंदिर में हरे रंग की सब्जी या पालक या साबुत मुंग का दान करें मात्रा अपनी शक्ति अनुसार चुने  तो आपके घर में निश्चित ही शांति रहेगी। आप किन्नरों को भी कुछ ना कुछ दान कर दिया करें साथ ही हरे वस्त्र के साथ हरी चुड़ीयां दान दें..
कर्क- कर्क  राशि वाले व्यक्ति आप 10 वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को भोजन कराएं और उनके चरण स्पर्श कर दक्षिणा दें..
सिंह- सिंह राशि वाले व्यक्ति रोज सूर्योदय के समय तांबे के पात्र से सूर्य को जल में केसर डाल कर अर्घ्य प्रदान करें, तथा प्रात काल में लाल रंग के फल मंदिर में दान दें..
कन्या- कन्या राशि वाले व्यक्तियों  को गले हुए मूंग गाय को खिलाना चाहिए। इससे आपके धर में शांति बनी रहेगी...
तुला- तुला राशि वाले व्यक्ति आप नव विवाहित वधू को भोजन कराएं तो आप पर लक्ष्मी जी प्रसन्न होंगी और घर में बरकत बनी रहेगी.......
वृश्चिक- वृश्चिक  राशि वाले व्यक्ति आप रोज रात को तांबे के बर्तन में पानी भर कर उसे अपने सिरहाने रख कर सोए और सुबह कांटेदार वृक्ष में डाल दें तो आपके घर में शांति रहेगी और सारी नकारात्मकता खत्म हो जाएगी..
धनु- धनु राशि वाले गुरु के उपाय करें यानी रोज पीली गाय को चारा दें और हर गुरुवार को किसी ब्राह्मण को भोजन कराए...
मकर- घर मे शांति बनाए रखने के लिए आप किसी जरूरतमंद व्यक्ति को काला कंबल दान दें...
कुंभ- आपकी राशि पर शनि देव का विशेष प्रभाव है इसलिए आप चिंटीयों को आटा और चीनी खिलाए..

मीन- अपनी राशि के अनुसार आपको रोज मछलियों को आटे की गोलियां खिलाना चाहिए या दाना डालना चाहिए...
इस प्रकार उपरोक्त उपाय करने से लाभ होगा. इसके बाद ही कोई साधना आदि का प्रयोग सफल होगा 

शुभमस्तु !!

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2016

तिलक द्वारा दैनिक वशीकरण.......

तंत्र शास्त्र अनुसार हमारी जो पूजा पद्धति हैं या दैनिक  दिनयर्चा का सम्बन्ध भी एक तरह से  तंत्र से है, प्रत्येक ग्रह का सम्बन्ध दश महाविद्या से होने के कारण प्रतिदिन के कार्य भी अलग अलग हो जाते है. तंत्र क्रिया या कोई भी साधना से पूर्व सर्व प्रथम तिलक लगाया जाता  है. 
तिलक कैसा होना चाहिए, तिलक का रंग कौन सा लेना चाहिए, तिलक लंबा या गोल या कोई विशेष आकृति या कोई साधना का यन्त्र आदि अपने मस्तक आदि शरीर के विभिन्न अंगों पर विशेष मुहूर्त पर लगाया जाता है.
कोई भी पूजा या कोई भी साधना हो, तिलक का महत्व सबसे अधिक होता है, साधना की सफलता या असफलता में तिलक का महत्वपूर्ण स्थान है, अतः जब भी कोई  साधना या कोई भी तंत्र प्रयोग किया जाता है तो सर्व प्रथम तिलक का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है. 
यदि तिलक साधना के अनुरूप है तो साधना में शीघ्र सफलता मिलती है. और यदि तिलक  पूजा या साधना के अनुरूप नही है तो असफलता मिलती है, 
उदाहरण.... किसी भी शुभ कर्म में पीला  या लाल रंग का तिलक उपयोग करते है यदि इस समय काला या कोई दुसरा रंग का तिलक उपयोग किया तो तुरंत हानि के योग बन जायेंगे. 

षट कर्म अनुसार अलग अलग कर्म की एक निश्चित तिथि, वार, रंग और धातु आदि भगवान शिव ने वर्णित किये है, अतः   आप जो भी कर्म की साधना कर रहे है उस कर्म अनुसार तिलक का रंग तथा आकार चुनाव करें तो शीघ्र लाभ होगा.

षट कर्म अनुसार प्रत्येक कर्म के तिलक का वर्णन आगे विषय जब आयेगा तभी बताने का प्रयास करूंगा. आज सामान्य लोग भी प्रतिदिन कैसा तिलक लगा कर समाज को अपने अनुकूल कर सकते है ये बताने जा रहा हूँ .
प्रातः उठते ही उस दिन की समस्त कार्य की चिंताएं मनुष्य के मन में सताने लगती है, ऑफिस में बॉस आदि की चिंता, मित्रों से व्यवहार की चिंता, कोलेज में शिक्षा या परीक्षा की चिंता, व्यापार में ग्राहक को बनाये रखने की चिंता आदि बहुत सी समस्याएं सताने लगती है.
इन सभी चिंता को दूर करने का तिलक के वशीकरण से भी सफलता मिल सकती है यदि इस तिलक की क्रिया को हम प्रतिदिन एक नियम बना लें तो लाभ मिलता है.सोमवार से लेकर रविवार पूरे सप्ताह के अनुसार तिलक आपको बता रहा हूँ...

सोमवार का सर्वसमाज वशीकरण तिलक:- 

चन्द्र देव का वार सोमवार है और चन्द्रमा मन का कारक भी है अतः इसके अनुसार तिलक लगाने से मन नियन्त्रण में रहता है तथा शांत रहेगा, चन्द्रमा का आरंग सफेद है, अतः आप सफेद चंदन का तिलक लगायें, अथवा यज्ञ हवन की विभूति या भस्म भी सोमवार प्रातः लगायें.

मंगलवार का सर्वसमाज वशीकरण तिलक:- 

श्री हनुमान जी मंगलवार का नेतृत्व करते है अर्थात मंगलवार श्री हनुमान जी का पर्याय मन जाता है, मंगल ग्रह का रंग लाल व सिन्दूरी लाल है, अतः मंगलवार को सभी कार्यों की सफलता के लिए लाल रंग सर्व श्रेष्ठ है.इस दिन आप लाल सिन्दूर का तिलक लगा सकते है तथा लाल चन्दन का तिलक या चमेली के तेल में सिन्दूर घोल कर भी तिलक लगा सकते है, चमेल के तेल में बना हुआ ये तिलक आपकी ऊर्जा शक्ति  की भी वृद्धि करेगा, कार्य करने की क्षमता में भी वृद्धि होगी, तथा पूरा दिन उत्साह में व्यतीत होगा.

बुधवार का सर्वसमाज वशीकरण तिलक:-  

माँ दुर्गा देवी का ये दिन है तथा भगवान गणेश जी भी इसी दिन को प्रतिनिधित्व करते है, नाम अनुसार बुध ग्रह बुधवार का स्वामी है, अतः सभी कार्यों में सफलता के लिए और समाज में यश पाने के लिए एक हरे रंग का रुमाल अपनी जेब में इस दिन रख कर ही घर से बाहर निकलें एवं खाली  सिन्दूर अर्थात उस सिन्दूर में तेल या घी कुछ ना मिला हुआ हो आप अपने मस्तक में लगाये, इससे व्यापार में बुद्धि तेज़ होगी तथा हानि नही होगी, बुधवार का दिन आप के लिए शुभ रहेगा. 


वृहस्पतिवार का सर्वसमाज वशीकरण तिलक:- 

वृहस्पति  देव समस्त ऋषि मुनियों तथा सभी देवताओं के गुरु है अतः इन्हें गुरु भी कहते है और इस वार को गुरूवार भी कहते है, वृहस्पतिवार  के स्वयं ब्रह्मा जी विशेष देव के रूप में माने गये है, वृहस्पतिवार के स्वामी वृहस्पति होने से इनका रंग पीला या सफेद मिश्रित पीला रंग अति प्रिय है, वृहस्पतिवार के दिन सफेद चन्दन को केसर में मिला कर तिलक लगाने से सभी कामनाएं पूर्ण होती है तथा केवल केसर का तिलक भी उपयोगी  सिद्ध होता है. साथ ही इसके अलावा हल्दी का तिलक या गोरोचन का  तिलक  भी लगा सकते है, इस तिलक से मन में पवित्रता तथा सकारात्मक भाव आने लगते है  बहुत दिनों से रुके कार्य बनने लगते है और धन सम्बन्धी सभी समस्याएं दूर होने लगती है.

शुक्रवार का सर्वसमाज वशीकरण तिलक:- 



श्री भगवान विष्णु जी की धर्म पत्नी तथा सारे जगत को धन सुख देने वाली माँ लक्ष्मी जी का ये वार है,शुक्र ग्रह इस दिन का स्वामी है, शुक्रा ग्रह हालांकि दैत्यों के गुरु भी है इसीलिए इनको दैत्यराज भी कहते है, शुक्राचार्य देत्यों के गुरु थें,इस दिन चमकीला रंग का तिलक तथा अगुलाबी रंग का तिलक भी लगा कर लाभ ले सकते है, माँ लक्ष्मी का दिन होने से लाल रंग का सिन्दूर या लाल चन्दन का तिलक बहुत लाभ देगा,इससे तनाव दूर होता है तथा सुख सुविधाओं की वृद्धि होती है.और राजसी ठाट बाट अथवा अधिकारियों से मेल मिलाप में भी ये तिलक सहायक होता है.

शनिवार का सर्वसमाज वशीकरण तिलक:- 

शनिवार नाम से ही शनि ग्रह का प्रकोप सामने आने लगता है, क्योंकि शनिवार का दिन यमराज, भैरव और शनि का दिन माना जाता है, इन सबकी प्रसन्नता के लिए भस्म, लाल चन्दन, अष्टगंध तथा यज्ञ की विभूति का तिलक भी सर्वश्रेष्ठ माना जाता है इस तिलक के कर शनि, भैरव तथा यमराज प्रसन्न रहते है, इसी कारण से ये कोई हानि नही करते है.

रविवार का सर्वसमाज वशीकरण तिलक:-  

भगवान विष्णु तथा भगवान सूर्य देव का आधिपत्य इस रविवार को मिला हुआ है, भगवान सूर्य इस रविवार दिन के स्वामी है जो कि रविवार ही नही समस्त ग्रहों के राजा भी है,इस दिन हरी चन्दन या लाल चन्दन का तिलक बहुत लाभ देता है, समस्त शत्रुओं का विनाश हो जाता है तथा समाज में मान सम्मान की वृद्धि भी होती है, इससे मन में आत्म विशवास की शक्ति बड़ने लगती है.

उपरोक्त तिलक प्रत्येक वार अनुसार नियम अनुसार यदि आप लगाए तो स्वयं आपको अनुभव होगा तथा प्रत्यक क्षेत्र में उन्नति और लाभ होना आरम्भ होता जाएगा. 

"तिलक लगाते समय ये महत्वपूर्ण बात हमेशा याद रखें कि तिलक सूर्य उदय से एक घंटे के अंदर ही लगाना चाहिए"  

शुभमस्तु !!

गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

तंत्र विद्या द्वारा समाधान...........


Tantra Vashikaran.......

भारत की सबसे प्राचीन विद्याओं में "तंत्र" विद्या का महत्वपूर्ण स्थान है, तंत्र शास्त्र भगवान शिव जी के मुख से निकला हुआ शास्त्र है, इसीलिए इसे तंत्र विद्या को पवित्र और प्रमाणिक माना जाता है.लेकिन कुछ साधक इस तंत्र शक्ति का दुरूपयोग करने लग गये है जिसके फलस्वरूप यह तंत्र विद्या को कलंक और बदनामी का धब्बा भी सहन करना पड़ता है. इसकी साधना अत्यंत कठिनाई से भरी हुयी है, गुरु गौरख नाथ जी के समय काल में समाज में तंत्र विद्या का अत्यधिक सम्मान मिलता था,
उस काल में समाज का प्रत्येक व्यक्ति तंत्र को अपना रहा था.जीवन की मुश्किल से मुश्किल समस्या को एकमात्र  तंत्र  ही आसानी से सुलझा सकता है.गुरु गौरख नाथ जी के बाद में भयानन्द जैसे लोगों ने तंत्र को भय का रूप दे दिया उन जैसे लोगों ने तंत्र को विकृत रूप से समाज के सामने प्रस्तुत किया, 

"उन तांत्रिकों ने तंत्र के साथ भोग, विलास, मद्य, मांस आदि पंचमकार को भी इसका पर्याय मन लिया जिसके कारण तंत्र विद्या को अधिक हानि और बदनामी उठानी पड़ी."
  
"मद्यं मांसं तथा मत्स्यं मुद्रा मैथुनमैव च, मकार पंचवर्गस्यात सह तंत्रः सह  तांत्रिकां " 

भयानन्द जी के अनुसार जो साधक इन पांच मकार में लिप्त रहेगा वो ही तांत्रिक कहलायेगा, भयानन्द ने यहाँ तक कहा की मांस, मछली और मदिरा का सेवन आवश्यक है.तथा नित्य स्त्री संगम करता हुआ साधना करें, इस प्रकार की गलत धारणा भयानंद ने समाज में  प्रचारित की फलस्वरूप ढोंगी और पाखंडी लोगों ने मिलकर तंत्र विद्या को हानि पहुंचाने लग गयें.

Vashikaran
लोगों ने इन तांत्रिकों का नाम लेना बंद कर दियाउनका सम्मान करना बंद कर दियाअपना दुःख तो भोगते रहे परन्तु अपनी समस्याओं को उन तांत्रिकों से कहने में कतराने लगेक्योंकि उनके पास जाना ही कई प्रकार की समस्याओं को मोल लेना था! और ऐसा लगने लगा कि तंत्र समाज के लिए उपयोगी नहीं हैं.
इन सब में दोष तंत्र का नही रहा, बल्कि जो लोग पाखंडी और ढोंगी थे उन असामाजिक तत्वों ने इस तंत्र विद्या को बदनाम करने में कोई कसर नही छोड़ी जिससे समाज ने तंत्र का बहिष्कार करना शुरू कर दिया. जब ऋषि मुनि मंत्र विद्या के द्वारा अपने साध्य देवता को अनुकूल बना लेते थे एक लम्बी साधना करनी पड़ती थी वर्षों तक मन्त्रों का जाप और कठिन आहार विहार के द्वारा अपने शरीर को कष्टमयी बना कर अधिक श्रम द्वारा साधना हुआ करती थी,
लेकिन अब युग परिवर्तन हुआ कलयुग के आगमन से समस्त सुविधा तथा जीवन में अत्यधिक व्यवस्ता के कारण समय तो बिलकुल ही समाप्त हो गया है, किसी को भी मंत्र द्वारा जाप करने का समय नही मिल रहा है,

इसी कारण से तंत्र की उपयोगिता में वृद्धि हुयी है मंत्र विद्या में देवता की प्रार्थना से उनको मनाया जाता है, लेकिन तंत्र में देवता को बाध्य करना पड़ता है जिससे देवता शीघ्र कामना पूर्ण करें.
मंत्र और तंत्र में साधना पद्धति एक जैसी है पूजन, न्यास आदि एक समान ही है, तंत्र में मंत्र अधिक तेज़ और जल्दी फल देने वाले होते है, जीवन की समस्त समस्याओं में तंत्र अचूक और अनिवार्य विद्या है. इसलिए तंत्र अधिक महत्व पूर्ण हो गया है जिसमें कम से कम समय में सफलता मिल जाती है.समाज में इसका व्यापक प्रचार ना होने का एक कारण ये भी है कि तंत्र के कुछ अंश बहुत कठिन है, बिना गुरु के समझे नही जा सकते, अतः तंत्र का ज्ञान के अभाव में शंकाएं उत्पन्न होती है.
"तनोति  त्रायति तंत्र" अर्थात तनना, विस्तार, फैलाव इस प्रकार इससे त्राण होना तंत्र है. हिन्दू, बौद्ध तथा जैन दर्शन शास्त्र में तंत्र परम्पराएं मिलती है.इन धर्मों में तंत्र साधना द्वारा अधिक कार्य सिद्ध हुए है.

सर्व प्रथम साधक को अपनी रक्षा करने का साधन करना चाहिए.तभी तंत्र विद्या में रूचि उत्पन्न करें. श्री हनुमान जी की साधना तथा भैरव नाथ जी की साधना और माँ काली की उपासना कर के ही तंत्र का अभ्यास करना आवश्यक है.

इसके आगे के लेख में तंत्र वशीकरण आदि छः कर्मो का दश महा विद्या अनुसार विषय में जानकारी देने का प्रयास करूंगा...

शुभमस्तु !!!

मंगलवार, 12 अप्रैल 2016

वशीकरण सँवारे सारे काम..

जैसा की मेने अपने आरम्भिक लेख में बताया था कि वशीकरण छः क्रियाओं में से एक महत्वपूर्ण क्रिया है वशीकरण द्वारा हम अपने बिद्गे सभी कार्य अनुकूल कर सकते है, आज के युग में समाज में बहुत ही विपरीत परिवर्तन देखने में आ रहा है कोई भी किसी का सम्मान या उसका आदर नही कर रहा है, .......चाहे कोई भी सम्बन्ध हो जैसे पति- पत्नी दोनों में ही अंहकार की युति भर गयी है, ना तो पति अपनी हार मानता है  और ना ही पत्नी, कभी कभी तो  रिश्तों में बिखराव आने लगता है. या कई बार पति के किसी स्त्री से अवैध सम्बन्ध बन जाए या पत्नी के किसी पर पुरुष के साथ अवैध रिश्ता हो जाए, इस वातावरण को सही करने का ईलाज बहुत कम ही है, दोनों परिवारों में शत्रु का भाव हो जाता है  समाज के प्रतिष्ठित लोग भी समझाने का असफल प्रयास करते है, लेकिन कोई लाभ नही होता है.
vashikarn
अब क्या करें ? यही सोच सोच कर दोनों का जीवन खराब हो कर नरक  तुल्य  बन जाता है.

अब यहाँ वशीकरण ही एक ऐसा एकमात्र उपाय है जिसके द्वारा उनका परिवार बचाया जा सकता है, लेकिन समाज में एक ऐसा वर्ग भी है जो इस प्रकार की विचार धारा का विरोधी है जो इस वशीकरण क्रिया को अपनाने से मना करता है या विरोध कर उपाय नही करते है.

इस प्रकार का विरोध वो लोग ही करते है जिनका पेट और जेब दोनों भरी हुयी है उन्हें दुःख दर्द का कभी एहसास नही हुआ है . 

अब यदि किसी विद्वान पंडित जी द्वारा इस वशीकरण क्रियाओं के द्वारा पति-पत्नी दोनों का आपस में सम्मोहन या वशीकरण करवा दिया जाए तो समस्या चुटकी में हल होती है अर्थात पति-पत्नी का नरकमयी  जीवन फिर से सुखमय हो जाएगा यदि वशीकरण क्रिया द्वारा उपचार करते है.
इसके अतिरिक्त संसार में मेरे ध्यान में  तो कोई दुसरा उपाय नही है जो की पति पत्नी दोनों को नियंत्रित कर सकने में सक्षम हो.
प्रत्येक विद्या में कोई ना कोई  साइड अफेक्ट होते ही है, कई लोग इस वशीकरण क्रिया का गलत लाभ उठाने की कौशिश करते है, उनको सफलता नही मिलती तो वो इसे असत्य और झूठी विद्या की संज्ञा प्रदान कर देते है, विद्या कोई झूठी या असत्य नही होती केवल प्रयोग करने वाले ही अपने स्वार्थ के निमित्त गलत कार्य करते है तो उनको असफलता मिलती है.

अतः प्राचीन विद्या का यदि सही लाभ  प्राप्त करना है तो सही और मर्यादा में रह कर ही प्रयोग करेंगे तो शत प्रतिशत सफलता अवश्य मिलेगी.

इसी प्रकार से हम अपना परिवार और समाज  दोनों को सुखमय बना सकते है.....



शुभमस्तु !!




शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

वशीकरण का विज्ञान

वशीकरण..एक ऐसा शब्द जिसमें बहुत अधिक रहस्य भरा हुआ है, वशीकरण क्या  है?
तथा इसका मानव जीवन पर कितना प्रभाव पड़ता है क्या इस शब्द के पीछे कोई अज्ञात रहस्य है ? 
क्या वशीकरण क्रिया के द्वारा कोई व्यक्ति किसी को अपने वश कर सकता है ?
यदि हाँ! तो कैसे ? इसका भी कोई विज्ञान है आज यही जानने का प्रयास करते है. वशीकरण क्रिया का ये रहस्यग समझने के लिए सबसे पहले उस शारीरिक रहस्य को समझना पड़ेगा जिसके द्वारा हम सोचने की शक्ति रखते है, हम कल्पना करने की क्षमता रखते है, अपने मन में शुभ या अशुभ विचार लाते है,..तो ऐसी कौन सी शक्ति या क्रिया है जिसके द्वारा ऐसा करने की हम लोगों के पास क्षमता है.ये सभी कर्म या क्रियाएं सनातन विज्ञान के अंतर्गत आता है जिसे सनातन धर्म भी कहते है इसी सनातन पद्धति को बिना समझे हम वशीकरण की क्रिया को ना समझ सकते है, ना ही क्रिया को सफल बना सकते है.


मनुष्य शरीर में एक सुपर पावर या कंट्रोलर या नियंत्रक हृदय के केंद्र में हमेशा स्थित रहता है. वही उस स्थान से अपनी अति सूक्ष्म तरंगों द्वारा पूरे शरीर और विशेष कर मस्तिष्क को निर्देशित कर के नियंत्रित करता है वो ही हमारी अनुभूति तथा समस्त क्रियाओं का मालिक है. शरीर और हमारा मस्तिष्क उसी का एक ऊर्जा क्षेत्र है उसी ऊर्जा क्षेत्र के हम कठपुतली समान क्रिया करते है.शरीर में स्थित नियंत्रक हमारे शरीर में  नाक के ऊपर एक ऊर्जा उत्पादन बिंदु है वंहा पर स्थित रहता है . यहाँ से सफेद रंग की तरंगों को बाहर निकालता है  है, जो हाथी के सूंढ़ की तरह जड़ में मोटी आगे पतली होती चली जाती है. इसका अगला नोक अत्यंत सूक्ष्म हो जाता है. यह तरंग वातावरण में दूर दूर तक गमन करती है. इसी ऊर्जा से विकसित जीवों में आँख और कान विकसित होते है.यह तरंग बाहरी दुनिया की तरंगों का पैटर्न अपने केंद्र को देता है. शरीर में स्थित नियंत्रक उसे मस्तिष्क टाक पहुँचाता है. मस्तिष्क में एक घना ऊर्जा चक्र है. वह उन पैटर्न को रिकॉर्ड करता है और उसे नीचें कंधें रीढ़ की जोड़ के पॉवर-पॉइंट को भेज देता है. वह वहाँ से केंद्र में अपना पैटर्न भेज देता है. शरीर में स्थित नियंत्रक  उसे ग्रहण करके आत्मानामक एक परमाणु को भेजता है, जो उसके केंद्र में होता है. वह उसे समझता है और अपनी इच्छा फिर तरंगों के माध्यम से अपने ऊपर भेजता है. क्रम से वह मस्तिष्क में पहुँचता है. वहाँ रिकॉर्ड होता है और वहां के पैटर्न के हिसाब से आज्ञा चक्र की तरंगों क्रियाशील हो जाती है. वह क्रिया के अनुसार शरीर के सारे पॉवर-पोइंटों पर की बोर्ड पर चल रही ऊंगलियों की तरह नाचती हैं. इसकी स्पीड भयानक होती है. 1 सेकंड में करीब 10000 से भी अधिक परिवर्त्तन होता है. इसलिए इन तरंगों को विघ्नेश्वर कहा जाता है. यह जब क्रिया नहीं करवा रहा होता है, मस्तिष्क के रेकॉर्डों में भटकता है. सुखद-दुखद , अच्छे-बुरे की रिकॉर्ड में इसकी अनुभूति पूर्व की क्रिया से जीव को होती रहती है.वशीकरण में इसी समय का लाभ उठाया जाता है. वह इन तरंगों के पैटर्न को ही बदल देता है और बुरे व्यक्ति की छवि अधिक आकर्षक हो जाती है. टूटा हुआ मन स्वयं को समझाने लगता है और व्यक्ति वशीभूत हो जाता है. उसके रिकॉर्ड में परिवर्त्तन हो जाता है. बुरा तो बुरा ही अंकित रहता है, पर वह धूमिल हो जाता है. आकर्षण का अनुपात बढ़ जाता है.

यंहा एक सवाल ये है कि जिसे नहीं पहचानते या जो मुझे नहीं पहचानता क्या उसका वशीकरण हो सकता है?

इसका उत्तर है कि शायद  हो सकता है. पर यह कठिन है; यदि उस व्यक्ति की कोई वस्तु, जिसमें पसीना, मूत्र आदि लगा हो या बाल नख आदि मिल जाए. परम्परा  से हमारे यहाँ औरते टूटे बालों को दोने में लपेट कर पानी में या गुप्त जगह मिट्टी में दबाती रही हैं.बालों से प्रबल तन्त्र क्रिया की जा सकती है. स्त्री का रज और पुरुष के धातु से दागदार कपड़ा या बाल, नखया इस्तेमाल किये मोज़े रूमाल आदि. पर कपडे एक हफ्ते से ज्यादा काम नहीं करते. फोटो पर तन्त्र क्रिया तभी हो सकती है, जब दोनों ने एक-दूसरे को देखा हो, जानते पहचनाते हो. अपरिचित यदि टीस भी उत्पन्न करें, तो क्या? लोग उसे भटका देते है.पर यह क्रिया जादू-टोने की तरह तुरंत नहीं हो जाती. इसमें लगातार कई रातों तक तन्त्र क्रिया और हवन चलता रहता है. 21 दिन से 45 दिन लग जाते है

आजकल कोई किसी के लिए 108 मन्त्र से ज्यादा समय नहीं निकाल सकता, यहाँ 108 हवन भी करना होता है.यह याद रखिये. ये सूक्ष्म तरंगों का खेल है. हवन में बाल के साथ जलने वाली सामग्री में करवाने वाले के भी बाल होते है. वहाँ उसमें जरूरी भाव लाने के लिए कई पदार्थ मिलाये जाते है. ये सबके लिए एक जैसे नहीं होते.इस क्रिया में मन्त्र ग्रंथन विन्यास से चलता है. समय रात्रि 9 के बाद 2 बजे तक या प्रातःकाल होता है.वस्त्र लाल, आसन लाल, मन्त्र लेखन की स्याही अनार के रस की होती है.फूल केवड़ा, कामिनी, गुलाब या चमेली का होता है.वैसे भिन्न भिन्न ईष्टों के साधक इसमें परिवर्त्तन भी करते है; पर परिवर्त्तन नक्षत्र के अनुकूल हुआ तो ठीक वरना काम सफल नहीं होता.

उसी नियंत्रक की क्रिया को हम सब तंत्र शास्त्र के द्वारा जानते है हमारे ऋषि मुनियों ने उसका नाम यन्त्र
मंत्र तंत्र रखा है इन्ही यन्त्र मंत्र तंत्र के द्वारा हम अपनी तरंगो को बाहरी क्रिया से नियंत्रिक कर के अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकते है 

ज्योतिष आदि के द्वारा हम जो भी उपाय करते है  वो सब इन्ही यंत्र मंत्र और तंत्र क्रियाओं के द्वारा ही होते है.  वो सब इन्ही यंत्र मंत्र और तंत्र क्रियाओं के द्वारा ही होते है. वशीकरण क्रिया तंत्र शास्त्र के अंतर्गत आती है तंत्र में छः कर्म आते है अर्थात षट कर्म..षट कर्म में  (१) शान्ति (२) वशीकरण (३) स्तम्भन (४) विद्वेषण (५) उच्चाटन (६) मारण ये छः कर्म अभिचार कहलाते है तथा दश महाविद्या से भी इनका सम्बन्ध है षटकर्म की क्रिया किसी भी कार्य को सिद्ध या अनुकूल करने के लिए की जा सकती है सभी शास्त्रों ने स्पष्ट कहा है की शान्ति कर्म को छोड़ कर सभी क्रियाएं वर्जित है तथा इन्हें करने से पूर्व अपनी सुरक्षा का ध्यान रखा जाए. षटकर्म में दुसरे नम्बर की क्रिया को वशीकरण कहते है वशीकरण व्यक्ति का वस्तु का होता है किसी को वश में कर नियंत्रण करना बहुत ही मुश्किल कार्य होता है यदि भाव विचार उसके प्रति अच्छे है तो जल्दी सफलता मिलती है अनुचित कार्य के लिए किसी का वशीकरण करना खतरनाक और असंभव कार्य होता है. स्वाभाविक रूप से प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है कि सभी लोग उसकी बात सुने उसका कार्य करें जो वो चाहता है लेकिन ऐसा हो नही पाता है. संसार में सबसे अधिक कुटनीतिक आचार्य चाणक्य जी ने भी एक श्लोक के द्वारा कहा है कि..

"लुब्धमर्थेन गृह्णीयात् स्तब्धमंजलिकर्मणा। मूर्खं छन्दानुवृत्त्या च यथार्थत्वेन पण्डितम्॥"अर्थात जो मनुष्य धन का लोभी हो उसको धन देकर, अभिमानी या अंहकारी को हाथ जोड़ कर, मुर्ख मनुष्य को उसकी बात मन कर और विद्वान को सत्य बात कह कर वश में किया जा सकता है प्रायः मनुष्य सौन्दर्यता को देख कर वशीभूत हो जाते है इसमें कोई क्रिया नही करनी पडती है. 

इसके अतिरिक्त "बिन विषहूं के सांप कोचाहिए फने बढ़ाय। होउ नहीं या होउ विषघटाघोप भयदाय॥" अर्थात यदि सर्प में विष नही है तो भी सर्प को अपने फन फैला कर फुंफकार करना चाहिए और यदि कोई सुंदर नही है तो उसे सुंदरता दिखाने के लिए उपचार करना चाहिए बाह्य सुंदरता का उपाय करना अति आवश्यक है.
वैसे तो वशीकरण एल असामान्य विद्या है लेकिन ये एक अपने आप में पूर्ण विज्ञान से बढ़कर है अभी तक का विज्ञान इस वशीकरण के रहस्य तक नही पहुँच सका है ये एक रहस्य बना हुआ है. जबकि हमारे सनातन ऋषि मुनि द्वारा इस रहस्य से पर्दा उठ चुका है वह सब इस दस विद्याओं में निपुण थे.
मनुष्य का स्वभाव है की वो चाहता है कि सब उसके अधीन रहें कर्मचारी चाहता अहै की उसके अधिकारी उसको सम्मान दे पत्नी की इच्छा होती है कि उसका पति उसकी प्रत्येक बात माने, पति की भी यही इच्छा होती है पत्नी उसके वश में रहे, इस वशीकरण द्वारा नियंत्रण से बाहर पत्नी, पति, संतान अदि को नियन्त्रण किया जा सकता है, गलत भाव से इसे नही करना चाहिए.

वशीकरण शक्ति प्राप्त करने के बसद आपके मुखमंडल में एक तेज़ आ जाएगा, एक ख़ुशी, एक मुस्कान हमेशा आपके चेहरे पर रहेगी. आत्मविश्वास जागृत हो जाएगा, लोग आपकी बात को महत्व देने लग जायेंगे, सभी आपका कहना मानेंगे.

आगे के लेख में इस वशीकरण  विद्या का वैज्ञानिक तत्व आपके सामने रखूंगा, जिस से अप प्रयोग कर इस वशीकरण विद्या का लाभ उठा सकेंगे.

इस संसार में चमत्कार नही होते,जो भी घटित होता है वो सनातन नियमों के अधीन ही होता है, उसका ज्ञान अनिवार्य है, इसी नियमों के अंतर्गत परमात्मा सबको देता है नियमों के विरुद्ध परमात्मा भी किसी को कुछ नहीं देता.

वास्तव में आधुनिक विज्ञान या विश्व इस तत्व ज्ञान को नही जानता और इसी कारण से उसको ये सब चमत्कार लगता है.

वशीकरण के विषय में अगले लेखों में प्रयोगात्मक क्रियाओं का विस्तार देंगे....


शुभमस्तु !!