ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा। बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति॥

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2016

फूलों द्वारा वशीकरण....

एक छोटा सा फूल इतना चमत्कारी होता है जो आप सोच भी नहीं सकते, दुनिया के किसी भी धर्म  में, किसी भी सार्वजनिक कार्य में, पूजा पाठ, उपासना, ख़ुशी के उपलक्ष्य में आदि आदि ऐसे कई प्रकार के उत्सव है सभी में विभिन्न प्रकार के फूलों का बहुत अधिक प्रयोग होता रहा है और आज भी अधिक मात्रा में फूलों को सबसे पहले लिया जाता है.  पूजा पाठ आदि में यही फूल श्रद्धा के फूल बन जाते है, तथा मृत्यु के उपरान्त यही फूल श्रद्धा सुमन के रूप में हम सब के सामने आते है.

फूल का सम्बन्ध पृथ्वी से है,और पृथ्वी अपनी इच्छा और लालसा फूलों द्वारा व्यक्त करती है.सुन्दर फूल आप पूजा पाठ में या अपने प्रिय को भेट करते है, फूल सुंदर और दिव्य होते है.फूल उत्तम माने जाते है, हमारे जीवन में फूल हर रंग में स्थित है, 

इन फूलों का एक और रूप है जो कि आगम निगम ग्रंथों मिलता है,नवग्रहों की पूजा अनुष्ठान में सूर्यादि नव ग्रहों के अलग अलग रंगों के फूलों का प्रयोग शास्त्रों में वर्णित है.तथा फूलों के द्वारा जीवन में विविध चमत्कार भी आसानी से किये जा सकते है,इन सबका विवरण हमारे दुर्लभ ग्रंथों में उल्लेखित है, फूल मनुष्य जीवन में प्रधान सामग्री के रूप में माना जाता है.

फूल पूजा पाठ कर्मकांड, विवाह आदि शुभ कार्यों में महिलाओं के श्रृंगार रूप में,  घर, मकान, ऑफिस,में सजावट के रूप में, किसी रोगी को स्वस्थ कामना देने के लिए तथा अंत में मृत्यु होने के बाद श्रध्दांजलि रूप में इन फूलों को हम श्रद्धा सुमन  कह देते है.फूल मनुष्य  से लेकर देवताओं तक सभी को प्रिय है.

सिद्ध स्थानों, हिमालय के दूर के स्थानों पर, सुनसान या वीराने स्थान पर उत्पन्न  फूलों में योगिनी शक्तियां विद्यमान रहती है,यहाँ तक कि सभी फूलों में कोई ना कोई शक्ति गुप्त रूप में अवश्य रहती है,फूल जब हम किसी को भेंट करते है तो वो शक्ति भी साथ चली जाती है और उस की भावना को प्रगट कर कामना पूरी कर देती है,

ज्योतिष नक्षत्र और तिथि वार आदि के संयोग से फूल तोड़ कर लाभ उठाया जा सकता है.आधुनिक चिकित्सा शास्त्र, होमियोपैथ ,आयुर्वेद आदि में भी फूलों के प्रयोग का विवरण है.
http://vashikaran-science.blogspot.in/

फूल एक ऐसी वस्तु है जिस के द्वारा आप  बिना बोले भी आप अपने भाव प्रगट कर संकेत दे देते है,जीवन चक्र का आरम्भ भी फूलों के द्वारा हो संभव हो पाता है, जब तक फूल नही होगा तब तक सृष्टि उत्पन्न नही होगी, अर्थात फूल से बीज बनता है, बीज से नया सृजन होता है, फूल से ही फल का निर्माण, फल से बीज इत्यादि ये जीवन चक्र इसी प्रकार से फूलों के इर्द गिर्द ही घूमता रहता है,अतः फूल के बिना सृष्टि की कल्पना भी नही की जा सकती है.

समस्त फूलों के देवता अलग अलग है, लेकिन कामदेव सभी फूलों के प्रधान देव के रूप में माने जाते है,काम देव के पास एक ऐसा अमोघ बाण है जो पुष्प बाण के नाम से विख्यात है जब किसी पर ये बाण चलता है तो वो कामाग्नि से विचलित हो उठता है.इसीलिए फूलों का तंत्र शास्त्र में बहुत बड़ा प्रभाव माना गया है,काम देव का वास फूलों में होने के कारण सभी देवी देवता इन फूलों को सहर्ष स्वीकार करते है, आसन के रूप में भी इसे स्वीकार करते है.


इसीलिए इन फूलों को बार बार अकारण तोड़ने की गलती कभी नही करनी चाहिए, ऐसा करने से दोष लग जाता है और ये पाप कर्म की श्रेणी में भी आता है.

फूलों द्वारा हम वशीकरण क्रिया को आसानी से कर सकते है, अपने देवताओं को प्रसन्न कर सकते है, और भी अनेक कार्य इन्हीं फूलों के द्वारा हम सिद्ध कर सकते है.

फूलों को तोड़ने का या खरीदने का समय विशेष  रूप से ध्यान रखें इसके नियम है जैसे....

अपनी पत्नी को प्रसन्न करने के लिए सुबह 11  बजे से पहले,

अपने उच्च अधिकारी को प्रसन्न करने के लिए  दोपहर 1 से 2  के मध्य,

अपने पिता को प्रसन्न करने के लिए प्रातः 7  से 8 के मध्य,

अपने गुरु देव की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रातः सूर्योदय के समय, 

अपने प्रेमी या प्रेमिका को प्रसन्न करने के लिए अपराह्न 4  से 6 के मध्य,

अपने पुत्र ( जो कहना ना मानता हो) उसे प्रसन्न या उसका वशीकरण करने के लिए दोपहर 12 बजे के आसपास ,

अपने पुत्री  ( जो कहना ना मानती हो) उसे प्रसन्न या उसका वशीकरण करने के लिए दोपहर 11 से 11:45 बजे तक.  


यदि आप फूल तोड़ कर भेंट करते है तो उचित रहेगा, खरीदें हुए फूल का असर बहुत कम तथा विलम्ब से मिलता है 

इसके आगे के लेख में आपको फूलों के रंग तथा किस दिशा में खड़े होकर भेट किये जाएँ...इसका विवरण विस्तार से देने का प्रयास करूँगा.............

जारी.............अगले लेख में ....

शुभमस्तु !!!


4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी जानकारी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी जानकारी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं